Priyanka06

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लेखनी कहानी -18-Aug-2022 घर बनते हैं परिवार से

शीर्षक-घर बनते हैं परिवार से

घर बनता है ईट पत्थर से,
पर इन से बनती दीवार
घर बनता है परिवार से।

रिश्तो में हो मनमुटाव,
फिर भी होता प्यार,
वही बनता है रिश्तो का आवास।

घर में होते बच्चे,
पूरा घर उनसे चहके,
इनके बिना होते घर अधूरे।

जिस घर में होते बुजुर्ग,
पलती वहां पर संस्कृति,
वहीं पर होती प्यार की बस्ती।

ईट पत्थर के घर हमने भी देखें,
खाली घरों में नजर आते जाले,
मौन होती वो दिवारे।

सदस्य करते निवास जहां,
वहां होता हस्तियों का समां,
रोज होता वहां महफ़िलनामा।

रोज होती है जिंदगी खुशनुमा,
हर रोज होता है परिवार में उजाला,
होता वहां पर हंसना खेलना।

जिस घर  में हो रिश्ते नाते,
जहां पर हो परिवार में एकता,
वही घर कहलाता है।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
नॉनस्टॉप प्रतियोगिता 2022 भाग

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7 Comments

Mithi . S

20-Aug-2022 03:16 PM

Very nice

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Abhinav ji

19-Aug-2022 09:33 AM

Very nice👍

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